दोस्ताना – मूवी रिव्यु

पिता यूं तो कभी रोता नहीं दिखता, पर वह अंदर ही अंदर घुटता है अपने सन्तान की चिंता में। अपनी सन्तान के लिए उसके दिल मे अथाह प्रेम होता है और वही तो अपने बच्चों का पहला गुरु भी होता है। लेकिन जब पिता और पुत्र का हो याराना तो फिर जो खिचड़ी पकती है उस खिचड़ी का नाम है दोस्ताना DOSTANA .

भोजपुरी फ़िल्म दोस्ताना का पिता भी अपने छोटे से बच्चे का  पालन है , पोषण है । वह उसका रोटी , कपड़ा और मकान है । वही उसका सम्बल है, शक्ति है। वही उसका सबकुछ है।  भोजपुरी फिल्म दोस्ताना में यह सब देखने को मिलता है। फ़िल्म के निर्माता हैं प्रदीप सिंह-प्रतीक सिंह और निर्देशन का जिम्मा सम्भाला है पराग पाटिल ने

DOSTANA – Movie Review

फ़िल्म दोस्ताना के अहम किरदार हैं अवधेश मिश्रा , प्रदीप पांडेय ‘चिंटू’ , काजल राघवानी व अन्य। भोजपुरी फ़िल्म दोस्ताना समाज मे व्याप्त दबंगई और नौकरशाही के साथ-साथ समाज का सच्चे प्रेम के प्रति उदासीनता को भी परिलक्षित करता है। लेकिन, प्रेम का जन्म तो हर दिल मे नैसर्गिक है जो एक का सानिध्य पाकर खिल उठता है।

पिता-पुत्र के ऊपर बनी इस फ़िल्म में पिता का प्यार भी है और नोक-झोंक भी। फ़िल्म की कहानी तब और ट्विस्ट हो जाती है जब बेटे को पता चलता है कि उसका पिता कहीं गुम हो गया है। महबूब की मोहब्बत और पिता के प्यार का फ़िल्म दोस्ताना भोजपुरी सिनेमा का एक अनूठा प्रयोग है। अपनी अदाकारी से अवधेश मिश्रा , पिता की भूमिका में जान डाले नज़र आते हैं तो वहीं चिंटू ने भी अपने किरदार से वफादारी करने की कोशिश की है।

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दोस्ताना Movie Trailer

दोस्ताना Dostana पिता-पुत्र के मैत्री-पूर्ण व्यवहार सामाजिक चेतना के क्रम में एक अच्छा प्रयोग है जिसे राकेश त्रिपाठी ने अपनी लेखनी के जरिये फ़िल्म में दिखलाने की कोशिश की है। काश ! ऐसी सामाजिक संरचना हो तो वह स्वर्ग से कम नहीं ।।